कोरिया जिला स्थित खड़गवां वन परिक्षेत्र अंतर्गत देवाडांड़ बीट कक्ष क्रमांक 620 सुन्दरपुर रिजर्व जंगल में अवैध रूप से बसे गैर जनजातियों द्वारा नियम विरुद्ध पट्टे बनाने के नाम पर राजनैतिक दबाव की जानकारी मिलने पर तथा जंगल बचाने के लिए गोंडवाना करेगी जनांदोलन ।
कोरिया जिला स्थित खड़गवां वन परिक्षेत्र अंतर्गत देवाडांड़ बीट कक्ष क्रमांक 620 सुन्दरपुर रिजर्व जंगल में अवैध रूप से बसे गैर जनजातियों द्वारा नियम विरुद्ध पट्टे बनाने के नाम पर राजनैतिक दबाव की जानकारी मिलने पर तथा जंगल बचाने के लिए गोंडवाना करेगी जनांदोलन ।
कोरिया छत्तीसगढ GCG NEWS 28 फरवरी 2021 बहरहाल जिले का यह हल्का भारतीय संविधान की पांचवी अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत अनुच्छेद (244) 1 के तहत विशेषाधिकार है। जो राज्यपाल के नियंत्रण में विशिष्ट कानून अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिये निहित है। जहां पर गैर जनजातिवर्ग के लोगों द्वारा जिनके रिहायशी इलाकों में बचे खुचे रिजर्व जंगल क्षेत्रों में पीढ़ी से रह रहे इन भोले भाले आदिवासी जनता की निस्तारण राजस्व वन भूमि पर तेजी से इन वर्ग के लोगों द्वारा अवैधानिक तरीके से राजनैतिक प्रभाव के आड़ में वन भूमि की पट्टे के लिये नियम विरुद्द रिजर्व वनभूमि का पट्टा के लिये रौब दिखाने की मामला प्रकाश में आया है। सूत्रों की मानें, तो जिले का वन परिक्षेत्र खड़गवां के देवाडांड़ वीट के 620 कक्ष क्रमांक में सुन्दरपुर जो हजारों एकड़ रिजर्व फारेस्ट वन भूमि पर अवैध कब्जा कर बसे हैं। जहां पर लोग दुसरे जिले से अपनी भूमि को उंची रेट में बेच कर एक व्यक्ति 50 से 100 एकड़ तक रिजर्व जंगल को दबावपूर्वक एक समुदाय के लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है।जो जंगल पर आश्रित नहीं बल्कि व्यवसायी हैं। जंगल भूमि पक्के का मकान एक कश्बाई से कम नहीं है। अधिकांश लोगों के पास जंगल का कब्जा पीओआर रसीद तक नहीं है। जो राजनैतिक प्रभाव के दम पर पक्के का मकान तथा कहना है, कि सैकडो एकड़ रिजर्व भूमि को गैर तरीके से उजाड डाला है।नियमानुसार जिनके तीन पीढ़ी का रिकार्ड याने 1930 का मांगे जाने पर कोई रिकार्ड नहीं है। और वन भूमि की अधिकार पट्टे के हरेक परिवार से तकरीबन कुल 67 दावा आपति के लिए विचाराधीन है। वन अधिकार अधिनियम के तहत 18 विन्दुओं के किसी कालम में भी इनका दावा आपति में साक्ष्य नही है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में गैर वर्गो की दखल तथा जंगल व पार्यावरण को बचाने के लिए अवैध कब्जाधारियों को सख्ती के साथ वेदखली जैसे कार्यवाही की मांग करती है। तथा राजनैतिक प्रभाव से पट्टे बनाने संबंधी वन प्रपत्रों की दावा आपति में मंजूरी के लिये जबरन वन कर्मीयों का हस्ताक्षर करने के लिये विवश करने जैसे मामला प्रकाश में आया है। वहीं दावा आपति फार्म में हस्ताक्षर न करने पर बस्तर भेजने की धमकी देकर स्थानीय वन कर्मचारियों की मनोबल को तोड़ने जैसे कृत्य पर ऐसे तत्वों के विरुद्ध न्यायोचित कार्यवाही की मांग को लेकर गोंडवाना गणतन्त्र पार्टी शीघ्र जनांदोलन करने चेतावनी दिया है। जैसा कि खड़गवां वन परिक्षेत्र के देवाडांड़ बीट कक्ष क्रमांक 620 में इन गैर जनजातियों द्वारा वन भूमि की पट्टा के लिए नियम विरुद्ध कार्यवाही करने हेतु राजनैतिक दबाव देेंने की घटना सामने आया है। वहीं जिले के जनजाति बाहुल्य इलाको में इन दिनों अनुसूचित जनजाति वर्गों एवं वन परम्परागत निवासियों के लिए वन नियामक कानून 2005 लागू है। सूत्रों की मानें तो अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिए 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व का कब्जा होने का साक्ष्य चाहिये। वहीं अन्य वर्गों के लिए तीन पीढ़ी याने करीब 1930 के पूर्व से कब्जा होना अनिवार्य हो। जिस भूमि का पी ओआर हो। जिसका जीवका आजीविका भूमि पर निर्भर हो। शासकीय सेवक न हो। आरक्षित आबादी भूमि न हो। इस प्रकार से कब्जाधारी यदि साक्ष्य प्रस्तुत न पाने पर वन भूमि पट्टे का पात्रता नहीं हो सकता है। भूमि कब्जा संबंधी दस्तावेज अनिवार्य है।