16 – 17 दिसंबर को राष्ट्रीय पैमाने पर कोयंबटूर तमिलनाडु में पांचवा जाति उल्मूलन आंदोलन का हुआ आयोजन।

कोयंबटूर तमिलनाडु में 16 -17 दिसंबर 2023 को आयोजित जाति उन्मूलन आंदोलन का पांचवा अखिल भारतीय सम्मेलन संपन्न, आरएसएस के वैचारिक आधार मनुवादी, ब्राम्हणवादी हिंदुत्व का प्रतिरोध और जाति उन्मूलन आंदोलन को तेज करने का हुआ आह्वान।

कोयंबटूर , गोंडवाना उदय न्यूज ग्रुप ऑफ इंडिया, विशेष संवाददाता, 18 दिसंबर 2023, एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से मिली जानकारी के मुताबिक,देश में लैगिक असमानता तथा
जाति उन्मूलन आंदोलन का पांचवां अखिल भारतीय सम्मेलन 16-17 दिसंबर को कोयंबटूर तमिलनाडु में कॉमरेड दोराय स्वामी नगर, अन्नामलाई हॉल) में आयोजित हुआ।अखिल भारतीय सम्मेलन में दस राज्यों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की।सम्मेलन में 15 सदस्यीय जाति उन्मूलन आंदोलन की अखिल भारतीय समन्वय समिति ( AICC) का गठन किया गया ।जिसमें छत्तीसगढ़ से लखन सुबोध (जीएसएस व लोक सिरजनहार यूनियन) और तुहिन (क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच के महासचिव ) शामिल किए गए ।तीन अखिल भारतीय समन्वय बनाए गए जिनमें पश्चिम भारत के संयोजक कॉमरेड बंडू मेश्राम,दक्षिण भारत के संयोजक कॉमरेड दासन और उत्तर भारत के संयोजक कॉमरेड तुहिन निर्वाचित हुए।सम्मेलन में जाति उन्मूलन आंदोलन के कार्यक्रम,सांगठनिक उसूलों,सांगठनिक रिपोर्ट और तात्कालिक कर्तव्य पर प्रस्ताव पर गंभीरता से चर्चा हुई और पारित किया गया।महान क्रांतिकारी समाज सुधारक रामास्वामी पेरियार के मशहूर जाति विरोधी,धार्मिक कर्मकांड विरोधी आंदोलन की सर जमीन तमिलनाडु के कोयंबटूर सम्मेलन में भारत के अस्सी प्रतिशत दलित उत्पीड़ित आदिवासी महिला शोषित मेहनतकश समाज को एकजुट कर संघी मनुवादी फासिस्ट ताकतों द्वारा मनुस्मृति के आधार पर अडानी अंबानी जैसे महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घरानों के हिंदुराष्ट्र और उसके अभिन्न अंग निर्मम जातिव्यवस्था को उखाड़ फेंकने के लिए कार्ययोजना बनाई गई।


बंगाल के प्रसिद्ध जनगायक असीम गिरी,कॉमरेड रुद्रैय्या के नेतृत्व में कर्नाटक की टीम,कॉमरेड सेल्वी,इनियावां के नेतृत्व में तमिलनाडु की टीम तथा कॉमरेड तुहिन ने जन गीत प्रस्तुत किया।तमिलनाडु के अंबेडकरवादी कल्चरल बैंड और श्री देवी के नेतृत्व में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम क्रांतिकारी नृत्य तथा नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। सम्मेलन में तमिलनाडु के राजनेता उदयनिधि स्टालिन के सनातन ब्राम्हणवादी संस्कारों के विरोध में कहे गए उक्ति के समर्थन में,स्कूली इतिहास के पाठ्यक्रम में रामायण, महाभारत को शामिल करने ,भारतीय संविधान का उल्लंघन करते हुए फासिस्ट मोदी सरकार द्वारा प्रदत्त सवर्ण कमजोर वर्गों( EWS) आरक्षण के खिलाफ , जाति आधारित जनगणना के पक्ष में तथा गाज़ा,वेस्ट बैंक और सीरिया में फासिस्ट आतंकी इजरायल द्वारा किए जा रहे फिलिस्तीनियों के खिलाफ जनसंहार के खिलाफ और तुरंत इस नस्ली सफाया अभियान को रोकने पर प्रस्ताव पारित किए गए।कार्यक्रम में क्रांतिकारी जातिविरोधी,सनातनी कर्मकांड विरोधी और मनुवादी हिंदुत्व विरोधी पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।

सम्मेलन में अलग अलग सत्र में वक्ताओं ने कहा कि,1936 में जब लाहौर के जात पात तोडक मंडल ने बाबा साहेब डॉ आंबेडकर को पहले, सभापति के रूप में आमंत्रित किया और फिर भारत की क्रूर जाति व्यवस्था और अमानवीय हिंदुत्व के बारे में उनके क्रांतिकारी विचारों को जानकर उन्हें लाहौर के सम्मेलन में आमंत्रित नहीं करने का निर्णय लिया तब बाबासाहेब ने “जाति उन्मूलन”(Caste Annihilation) के नाम से अपनी पुस्तिका को छपवाया और वितरित किया। उस समय उन्होंने एक युगांतरकारी बात कही थी कि भारत में अमानवीय जाति व्यवस्था को उखाड़ फेंके बिना कोई लोकतांत्रिक समाज नहीं बन सकता। इसके लिए उन्होंने भारतीय जनता को दो दुश्मनों से लड़ने को कहा था-एक ब्राम्हणवाद तो दूसरा पूंजीवाद।शहीद भगत सिंह ने भी ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने के साथ-साथ उसकी दलाल भारतीय पूंजीवाद से भी हमें लड़ने को कहा था।आज की तारीख में हम देखते हैं कि ब्राम्हणवाद, फासिस्ट आरएसएस के वैचारिक आधार मनुवादी हिंदुत्व का रूप धारण कर आज के पूंजीवाद ,जिसे अडानी अंबानी का कॉरपोरेट राज कह सकते हैं का लठैत बना हुआ है। बाबा साहेब आंबेडकर की एक बात और हमें नहीं भूलना चाहिए कि हिंदुराष्ट्र की स्थापना भारत के अंधकारमय युग की शुरुआत है।

सम्मेलन में वैचारिक रूप से यह तय किया गया कि जाति उन्मूलन आंदोलन तथा लैंगिक समानता का आंदोलन का वर्ग संघर्ष के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ है। भारत में 3000 सालों से वेद समर्थक सनातनी ब्राम्हणवादी मनुवादी विचारधारा जो कि शासक वर्ग ( राजा महाराजा) के पक्ष में थी के साथ दलितों/ उत्पीड़ितो,आदिवासियों,महिलाओं एवं गरीब मेहनतकश जनता की पक्षधर वेद विरोधी भौतिकवादी श्रमण परंपराओं/ विचारधाराओं के बीच जो संघर्ष जारी रहा वही देश में वर्ग संघर्ष का इतिहास है।भारत में जाति और वर्गों के बीच कोई दीवार नहीं है। मनुस्मृति के आधार पर ब्राम्हणी शासक वर्ग ने दलितों/ उत्पीड़ितों ,गरीब मेहनतकशों की मेहनत की कमाई लूट कर अतिरिक्त मूल्य पैदा करने के लिए ही क्रूर वर्णव्यवस्था जो बाद में निर्मम जाति व्यवस्था का रूप ले लिया को जन्म दिया था । आज की तारीख में दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े फासीवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस) के वैचारिक आधार मनुवादी हिंदुत्व के हिंदुराष्ट्र का सार ही है जनता के दुश्मन महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घराने अडानी अंबानी के मालिकाना में अति अमीर सवर्ण ब्राम्हणवादीयों के नेतृत्व में क्रूर जाति व्यवस्था को नए सिरे से ज्यादा आक्रामक रूप से लागू करना।इस बात को चालीस के दशक से कम्युनिस्ट पार्टी के नेतागण अपने यांत्रिक नजरिए से नहीं समझ पाए जो जाति को मूलाधार का हिस्सा न मानकर केवल अधिरचना का हिस्सा माना ।और ये माना की कम्युनिस्टों का काम वर्ग संघर्ष करना है,जाति की समस्या तो क्रांति के बाद अपने आप हल हो जाएगी।जाति उन्मूलन आंदोलन को वामपंथियों के एक हिस्से के लकीर के फकीर वाली सोच के साथ साथ,बाबा साहेब आंबेडकर के बाद जो नव अंबेडकरवादी नेतृत्व दलित आंदोलन में हावी हुआ वह डॉक्टर अंबेडकर के जाति उन्मूलन के लाइन से दूर जाकर जातियों को बनाए रखने वाले ” पहचान की राजनीति” जैसे दलितवाद या आदिवासीवाद के अंतर्गत ही दलितों/ उत्पीड़ितों को फंसाए रखने वाले शासक वर्ग की सोच से भी लडना पड़ रहा है। इसी संदर्भ में ,जाति उन्मूलन आंदोलन, निर्मम जाति व्यवस्था और ब्राम्हणवादी धार्मिक कट्टरपंथ/ पाखंड के खिलाफ शोषित पीड़ित जनता की मुक्ति के नवजागरण आंदोलन के अग्रदूतों के रास्ते पर चलते हुए,16-17दिसंबर 2023 को कोयंबटूर तमिलनाडु में जाति उन्मूलन आंदोलन ( CAM) के पांचवे अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।सम्मेलन में जाति उन्मूलन आंदोलन को तहे दिल से सफल बनाने के लिए तमाम जाति विरोधी, धार्मिक कट्टरता विरोधी जनवादी प्रगतिशील जनता से हम आह्वान करते हैं। साथ ही मौजूदा मुस्लिम-विरोधी, दलित-विरोधी, किसान, मजदूर, आम मेहनतकश जनता और घोर महिला विरोधी पितृसत्तात्मक आरएसएस के ब्राम्हणवादी/ मनुवादी फासीवाद के खिलाफ हम मेहनतकश वर्ग, देशभक्त,जनवादी, धर्मनिरपेक्ष, प्रगतिशील अवाम और तमाम उत्पीड़ितों से अपील करते हैं कि आरएसएस के वैचारिक आधार मनुवादी हिंदुत्व के खिलाफ उठ खड़े होने तथा इसकी कब्र खोदने और एक सच्चे जनवादी समतावादी भारत के निर्माण के लिए, सावित्री बाई फुले, फातिमा शेख, गुरु घासीदास, ज्योतिबा फुले, पेरियार, आयंकाली, नारायण गुरु, बाबासाहेब आंबेडकर और शहीद भगत सिंह के सपनों के भारत का निर्माण करने के लिए जाति उन्मूलन आंदोलन को मजबूती से आगे बढ़ाने का आह्वान किया गया। एक जाति विहीन, वर्ग विहीन, स्त्री पुरुष समानता और लैंगिक समानता वाले, वैज्ञानिक सोच संपन्न, धर्मनिरपेक्ष, सच्चे समतावादी भारत का निर्माण करने के लिए एकजुट हो।

 

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