सिलगेर पुलिस गोलीकांड में आदिवासी समाज के पदाधिकारियों की जांच टीम को घटना स्थल में जाने से रोकने को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने जताई आपति, कहा जांच टीम को रोकना आदिवासियो की सवैंधानिक मूल्यों का हनन है।

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विशेष संवाददाता द्वारा)

रायपुर छत्तीसगढ GCG NEWS 21मई 2021, जैसा भी हो,छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर के अंदरूनी इलाकों के बहुचर्चित बीजापुर जिले के सिलगेर में पुलिस कैंप के विरोध पर उतरे स्थानीय निर्दोष आदिवासियो पर हुई, गोलीबारी की घटना से जुड़ी तथ्यो को जानने के लिए गए, प्रदेश के आदिवासी समाज प्रमुखों को गांव तक जाने के लिए, पुलिस प्रशासन द्वारा रोकने जैसे घटना को लेेकर, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने तीब्र भर्त्सना की है। तथा जिस घटना को आदि वासियों की सवैंधानिक मूल्यों की हनन बताया। कुछ भी कहें, सच तो यह है, कि बस्तर इलाके के अविभाजित कोई भी जिला हो, स्थानीय आदिवासी दोयाम दर्जे का नागरिक बन गये हैं, जो अपने ही घरों परायों सा महसूस कर रहे हैं। जिनका जीना दूभर सा हो गया है। आज यहाँ के आदिवासियो के लिए एक ओर सुरक्षा और सहारा की बात करती है, वहीं दूसरी ओर इन्हें उजाड़ने पर तुली हुई है। आज आदिवासी समुदाय को कोई साथ देने वाला नहीं दिखता। यहां तक कोई मुखिया भी नहीं। इसलिए आज इन इलाकों के लोग इन्हीं नीतियों के जाल में फंसते हुये, यहां के गरीब आदिवासियों को ये  छत्तीसगढ़ सरकार जेल के कटघरे में लाकर झोंक दिया है। उक्त बातें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ एल एस उदय ने मिडिया के सामने सिलगेर जैसे संवेदनशील मुद्दे को लेकर अपने आवाज को बुलंद करते हुये कहा है, कि छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासी समुदाय की हितों की संरक्षण के लिए बनी सामाजिक संस्था जो आदिवासी समाज जिनके पदाधिकारी सिलगेर वारदात ये घटना घटित  हुआ था।  ऐसे इलाकों में आदिवासी समाज के पदाधिकारियों को जब घायलों से मिलने जा रहे थे। जिन्हें रोका गया। खिर इनका क्या गुनाह था ? कि जिन्हें सीमा लाँघने नहीं दिया गया। कुल मिलाकर प्रशासन जानबूझ कर आदिवासियों को शन्देह भरी निगाहों से देख रही है। जैसा कि बीजापुर सुकमा जिले के सीमावर्ती ग्राम सिलगेर में खोले जा रहे पुलिस कैंप का विरोध को लेकर हुई घटना पर आदिवासी समाज के इन प्रतिनिधियों द्वारा जब जनता से हकीकत जानने के लिए जाना चाहते थे। मसलन  सरकार के पुलिस इन जांच दल के सदस्यों को रोक दिया। जिससे प्रदेश के आदिवासी समुदाय में गहरी रोष देखी गयी । जब कि पूर्व में भी ग्रामीण जनों द्वारा प्रस्ताव पारित कर जिला पुलिस प्रशासन को अपना विरोध जता चुके थे। बावजूद भी प्रशासन ध्यान न देकर पुलिस कैम्प खोला जा रहा है । जब कि ग्रामीणो द्वारा  17 जून को एकजुट होकर प्रदर्शन किये थे। तो पुलिस के द्वारा आंसू गैस से लेकर लाठीचार्ज कर दिया। वहीं भीड़ पर  एकाएक गोली बारी की जानकारी हुआ है। जिसमें तीन ग्रामीणों की मौके पर ही दर्द नाक मौत हो गई, और 19-20 ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गये थे । और कई ग्रामीण लापता हो गए । जिसे पुलिस नक्सली बता मामले को और पेंचदार बना दिया। वहीं  प्रशासन द्वारा नक्सलियों के दबाव में प्रदर्शन की बात बताकर मामले को और गहरा घाव बना दिया।  एवं कैंप में नक्सलियों द्वारा हमला करने की बात कह कर पूरे घटना क्रम का रुख मोड़ दिया ।और सबको नक्सली बताने लगे हैं । सच तो घटना ये वारदात वहां के ग्रामीणो द्वारा बताया गया कि घटना के समय उपस्थित पत्रकार भी थे । जो सोशल मीडिया में घटना की वीडियो ऑडियो बना कर सार्वजनिक किये थे। जहां पर पुलिस द्वारा अंधाधुंध फायरिंग एवं लाठीचार्ज की कारनामें किया था। जिसे पत्रकारों एवं शोसल मीडिया मे दिखाया जा रहा था। जिस तथ्यों से प्रशासन आज मुकर रही है। गौरतलब आज भी ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में कैंप बनाने से अनावश्यक भय बनी हुई है। वहीं ग्रामीणो द्वारा कई घटनायें होने की आशंका जतायी जा रही है। जबकि स्थानीय ग्रामीण जनता द्वारा घटना में मारे गये  एवं घायल सभी लोगों को ग्राम के ही निवासी बताया गया है। इस प्रकार से प्रशासन द्वारा जिन्हें नक्सली होना बताया गया है,जो सरासर झूठ है। यहां पुलिस और नक्सलियों की लड़ाई में सबसे ज्यादा बेगुनाह आदिवासी पीड़ित है। दोनों की आड़ में बस्तर के बेगुनाह आदिवासी जो बेवजह मारे जा रहे हैं। इस घटना की गंभीरता को देखते हुये  छत्तीसगढ़ आदिवासी समाज के प्रदेश कमेटी द्वारा उक्त घटना के बारे में पड़ताल करने के लिये जिला सुकमा एवं  बीजापुर जाना चहता था। जिसमें जिले के 15 सदस्यों का जांच दल गठित किया गया। जिन्हें  20 मई  2021 दिन गुरुवार को जांच करने हेतु निर्देशित हुआ था। तथा  घटना स्थल पर जाकर अपनी रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था। जो कौन सा गलत काम था। केवल हकीकत का पैरवी ही तो था। परंतु पुलिस प्रशासन द्वारा आदिवासियो की ओर से गठित जांच दल को घटनास्थल तक जाने तक नहीं दिया गया। जिन जिनके द्वारा  सिर्फ ग्रामीणों व प्रशासन से अपनी रिपोर्ट तैयार करना था। जिन्हें जानबूझकर नहीं जाने दिया गया।

गौरतलब बीजापुर जांच दल को तिम्मापुर कैंप में व सुकमा जांच दल को जगरगुडा कैंप में रोक दिया गया। जबकि अन्य दलों को जाने दिया जा रहा था। परन्तु आदिवासी समाज के जांच दल को नहीं जाने दिया गया। जिस लोकहित को लेकर गठित आदिवासी सामाजिक जांच दल को रोके जाने जैसे घटना की गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा आक्रोश जताते हुए घटना की निंदा की है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ एल एस उदय ने कहा है कि भविष्य में इस प्रकार की घटना को लेकर हमारी पार्टी विरोध करेगी। तथा जनांदोलन के लिए आगे आयेगी। उन्होनें कहा कि आज पूरे देश में कोरोना जैसे वैश्विक संक्रमण है। एवं लोग संक्रमित हैं। लाकडाउन के नाम पर लोगों को जगह जगह रोका जा रहा है। आज इन आदिवासी बाहुल्य इलाको में बाजार जाने से लेकर राशन तथा वनोंपज संग्रहण करने जैसे कार्य से रोका जा रहा है।और प्रशासन इस स्थिति में जगह-जगह नक्सली उन्मूलन के नाम पर फोर्स कैंप बना रही है। जहां नक्सली गतिविधि कम होने के बावजूद भी लगातार कैंप बनाने पर क्षेत्र में जन आक्रोश व्याप्त हो रहा है। चाहे वह आज नक्सलियों की ओर से बेगुनाह आदिवासी जनता वहीं दूसरी ओर पुलिस की गोलियों का भी शिकार आदिवासी वर्ग ही हो रहा है ।

 गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ  एल एस उदय ने स्थानीय राज नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा है, कि यदि बस्तर के नरसंहार को लेकर यहां के    सभी आदिवासी समाज के वरिष्ठ नेता मंत्री व विधायक इसे रोकने के एकजुट हो जाते तो तो शायद ऐसी नरसंहार जैसे घटना नहीं होता। उन्होनें कहा कि यहाँ पर जितने भी राजनेता हैं, जिनके लिए समाजिक पीड़ा से ज्यादा  उनकी कुर्सी बचाने की पीड़ा रहती है। जो सरकार के  सामने फिफयाते फिरते हैं। दुर्भाग्य है कि सिलगेर जैसे नर संहार के मामले में कोई नेता मुंह खोला हो।आज साफ है कि बस्तर के संसाधनों को लूटने का एक कुत्सित षड्यंत्र जैसे सरकारी चाल चली जा रही है। जिसे अब आदिवासी समुदाय के लोग समझने लगे हैं। सिलगेर की इस घटना को अब आज  पूरे भारत भर के आदिवासी सामुदाय समझ गई है।वहीं अन्य संगठन भी इस घटना व बस्तर की अशांति को लेकर जन आक्रोश है। इस स्थिति में किसी जांच दल को रोकना कई प्रश्न खड़ा कर दिया है।जिसका गोंडवाना गणतंत्र पार्टी निंदा करती है।और निष्पक्ष जांच की मांग करती है।

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