(अमित कुमार उदय ब्यूरो चीफ)
कोरबा पसान
(GCG NEWS)
7 फरवरी 2021,
उप तहसील मुख्यालय पसान से सटा हुआ ग्राम पंचायत बैरा के आदिवासी बाहुल्य आश्रित गॉवपकरी गडई जहां के लोग आजादी के 72 साल बाद भी ढ़ोढ़ी व झरिया का पानी पीने को विवश हैं। पकरीपकरी गडई के पंच अमरजीत मार्को जिन्होनें अपने आश्रित गॉव पानी की समस्या को लेकर कई बार तात्कालीन स्थानीय विधायक रामदयाल उइके से वर्तमान विधायक को अपने गॉव जहां पानी की समस्या को लेकर कई बार बताया जा चुका है। पर पानी की यह समस्या आजादी के बाद से अब तक हल नहीं हो पायी है।वहां के निवासी घुरनसिंह मरकाम ने बताया कि हमें पानी लाने के लिये आधा किलो मीटर दूर जाना पड़ता है। हम शुद्ध पानी पीने के तरस रहे हैं। गॉव में कहने को तो बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केंद्र विगत 10 वर्षो से संचालित है। जहां के आगनबाड़ी कार्यकर्ता शुशीला जो इसी कारण से महीना में दो चार दिन ही कक्षा लगाती है। जिनके द्वारा नन्हें मुन्हे बच्चे बच्चियों को यहाँ के ढोढी का गन्दा पानी पिलाया जाता है । जिससे यहां के आदिवासी समुदाय के लोग अक्सर संक्रमित बिमारियों से जूझते रहते हैं। यहां के लोग प्रशासन से निराश होकर अपने आप को दोयांम दर्जे का नागरिक मानते हैं। गडई के पंच अमरजीत मार्को जिन्होनें अपने आश्रित गॉव पानी की समस्या को लेकर कई बार तात्कालीन स्थानीय विधायक रामदयाल उइके से वर्तमान विधायक को अपने गॉव जहां पानी की समस्या को लेकर कई बार बताया जा चुका है। पर पानी की यह समस्या आजादी के बाद से अब तक हल नहीं हो पायी है।
वहां के निवासी घुरनसिंह मरकाम ने बताया कि हमें पानी लाने के लिये आधा किलो मीटर दूर जाना पड़ता है। हम शुद्ध पानी पीने के तरस रहे हैं। गॉव में कहने को तो बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केंद्र विगत 10 वर्षो से संचालित है। जहां के आगनबाड़ी कार्यकर्ता शुशीला जो इसी कारण से महीना में दो चार दिन ही कक्षा लगाती है। जिनके द्वारा नन्हें मुन्हे बच्चे बच्चियों को यहाँ के ढोढी का गन्दा पानी पिलाया जाता है । जिससे यहां के आदिवासी समुदाय के लोग अक्सर संक्रमित बिमारियों से जूझते रहते हैं। यहां के लोग प्रशासन से निराश होकर अपने आप को दोयांम दर्जे का नागरिक मानते हैं। तथा उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं। उन्होँने शीघ्र शुद्ध पानी पीने के लिए नलकूप की मांग किया है।