उमरिया जिला के विकासखंड करकेली स्थित आकाशकोट आदिवासी इलाका में पेयजल का संकट गहराया, सरकार के प्रति जनता का बढ़ा आक्रोश।

      (बाला सिंह टेकाम उमारिया द्वारा) 

उमारिया (मध्यप्रदेश) गोंडवाना उदय GCG NEWS ग्रुप 16 मई 2024 जानकारी की मानें तो, जिले के आदिवासी समुदाय बाहुल्य आकाशकोट क्षेत्र में इन दिनों पेयजल संकट गहरा गई है। सरकार द्वारा संचालित नल जल योजना इन इलाकों में पूरी तरह फेल हो चुकी है। अमूमन सरकार के माथे मे कलंक जैसा है जैसा कि 2024 मे अभी तक 109 गांव मे पीने केलिए पानी  उपलब्ध नहीं करा पा रही है। नर्मदा खण्ड का यह इलाका उमरिया जिले अन्तर्गत करकेली विकास खण्ड के अंतर्गत आता है। दुर्भाग्य है कि यहां 109 गांव जिनको पेयजल उपलब्ध नही कराया जा सका है । इन गांवो में लोग बूंद बूंद पानी एकत्र करने के लिए गांव से दूर आस पास प्राकृतिक जल स्रोत को तलाश कर गड्ढा करते है, नदी, झिरियामें कुंड या कुंआनुमा गड्ढा बनाते है, और वंहा से मिल बांट कर पानी लाते है। यह कहानी आदिवासी गांवो की है, जिन वर्गों द्वारा तपती दुपहरी में पानी ढोते देखे जाते हैं। वर्तमान स्थिति मे यहां गांव की आबादी 600 से 700 की है, यदि यहां की आबादी 500 ही मान लिया जाए तो 54000 लोग इन इलाकों में पेयजल के लिए जूझ रहे हैं।सरकार इतनी बडी आदिवासी आबादी आज शुद्ध पानी पीने के लिए तरस उठी है। जंहा पानी का आवक कम और जावक ज्यादा सिचाई के लिए उमरिया नगर मे जलापूर्ति के लिए है, जहां पानी दिया जा रहा है। जहां 2025 तक पानी देने का सरकार दावा कर रही है। उधर उमरार जलाशय से सम्बद्ध किसान आकाशकोट जल प्रदाय योजना से आनेवाली मुसीबत को भांपते हुए विरोध की बात कर रहे हैं वहीं उमरिया नगर के लोग भी इस योजना की आलोचना कर रहा है। उमरार जलाशय बरसाती नदी पर निर्भर है जिसकी धार अक्टूबर नवंबर माह मे टूट जाती है कमोवेश यही हाल मच्छडार नदी की है जिसको उमरार से जोडने की स्वीकृति दी गई है। आकाशकोट क्षेत्र के लोगो का कहना है कि उनके आकाशकोट मे नर्मदा जल लाओ संघर्ष को दबाने और अपने फायदा के लिए ठेकेदारो द्वारा लाया हुआ योजना है इससे बडा मजाक उनके कोई हो नही सकता। इस योजना के पक्ष मे ढिढोरा पीटने वाले अधिकारी टान्सफर होते ही कहते है उमरार जलाशय से पानी पंहुचाना संभव ही नही है। इतनी बडी समस्या जिसे आजादी के 75 साल बाद नही निवारण किया जा सका वह स्थानीय अधिकारियो के हाथ का है ही नही सरकारें कटघरे मे है माननीय विधायक माननीय सांसद जवाबदेह है। *पानी बिना तबाही आकाशकोट गवाही– को नजरअंदाज नही किया जा सकता जो अब तक किया गया। निश्चित रूप से इस क्षेत्र के जल संकट का निवारण नर्मदा से जल ला कर ही किया जा सकता है। इसे सरकार को गंभीरतापूर्वक लेना चाहिए। आकाशकोट पेयजल संकट सरकार के माथे मे कलंक है। नर्मदा खण्ड का यह इलाका उमरिया जिले अन्तर्गत करकेली विकास खण्ड का है। 109 गांव छोटा आंकडा नही है जिनको पेयजल उपलब्ध आज तक नही कराया जा सका इन गांवो के लोग बूंद बूंद पानी एकत्र करने गांव से दूर आस पास प्राकृतिक जल स्रोत को तलाश कर गड्ढा करते है झिरिया कुंड कुंआ बनाते है वंहा से मिल बांट कर पानी लेते है। यह कहानी आदिवासी गांवो की है जिन्होने अपनी सहनशीलता को पार के रखा हुआ है। आज के तारीख मे एक गांव की आबादी 600 से 700 की है यदि यंहा 500 ही मान लिया जाए तो 54000 लोग पेयजल महरूम है।सरकार इतनी बडी आबादी के भद्दा मजाक कर रही है जंहा पानी का आवक कम और जावक ज्यादा सिचाई केलिए उमरिया नगर मे जलापूर्ति केलिए है से पानी दिया जा रहा है से 2025 तक पानी देने दाबा कर रही है। उधर उमरार जलाशय से सम्बद्ध किसान आकाशकोट जल प्रदाय योजना से आनेवाली मुसीबत को भांपते हुए विरोध की बात कर रहे है वंही उमरिया नगर भी इस योजना की आलोचना कर रहा है। उमरार जलाशय बरसाती नदी पर निर्भर है जिसकी धार अक्टूबर नवंबर माह मे टूट जाती है कमोवेश यही हाल मच्छडार नदी की है जिसको उमरार से जोडने की स्वीकृति दी गई है। आकाशकोट क्षेत्र के लोगो का कहना है कि उनके आकाशकोट मे नर्मदा जल लाओ संघर्ष को दबाने और अपने फायदा के लिए ठेकेदारो द्वारा लाया हुआ योजना है इससे बडा मजाक उनके कोई हो नही सकता। इस योजना के पक्ष मे ढिढोरा पीटने वाले अधिकारी टान्सफर होते ही कहते है उमरार जलाशय से पानी पंहुचाना संभव ही नही है। इतनी बडी समस्या जिसे आजादी के 75 साल बाद नही निवारण किया जा सका वह स्थानीय अधिकारियो के हाथ का है ही नही सरकारें कटघरे मे है माननीय विधायक माननीय सांसद जवाबदेह है। पानी बिना तबाही आकाशकोट गवाही को नजरअंदाज नही किया जा सकता जो अब तक किया गया। निश्चित रूप से इस क्षेत्र के जल संकट का निवारण नर्मदा से जल ला कर ही किया जा सकता है। इसे सरकार को गंभीरतापूर्वक लेना चाहिए।

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