मनेंद्रगढ़ समीप गरुडडोल स्थित कार्यशाला में 15 दिवसीय समर कैंप कोया कला, कोयतूर बच्चों द्वारा खेला गया, पहला थियेटर नाटक “शहीद वीर नारायण सिंह माटी सोनाखान” का हुआ प्रदर्शन, बुद्धम श्याम के निर्देशन को हजारों लोगों ने सराहा।
मनेंद्रगढ़ समीप गरुडडोल स्थित कार्यशाला में 15 दिवसीय समर कैंप कोया कला, कोयतूर बच्चों द्वारा खेला गया, पहला थियेटर नाटक “शहीद वीर नारायण सिंह माटी सोनाखान” का हुआ प्रदर्शन, बुद्धम श्याम के निर्देशन को हजारों लोगों ने सराहा।
मनेंद्रगढ़ एमसीबी, छत्तीसगढ़ 10 जुलाई 2023, गोंडवाना उदय/GCG ग्रुप ऑफ इंडिया जिला से महज 20 किलो मीटर के दायरे में स्थित प्रकृति को समेटे वनाच्छादित कोयतुर ग्राम गरुड़डोल जो जिला मुख्यालय मनेंद्रगढ़ सड़क मार्ग स्थित बिहारपुर से पूर्व दिशा सोनहत मार्ग में बसा गांव है।
जहां बीते दिनों कोयतूर फिल्म के निर्देशक बुद्धम श्याम जिनका वह मूल्य है जो व्यक्ति एवं समाज के बीच अपने अनुभवों को आत्मसात करते रहते हैं। बहरहाल जिनका फिल्म प्रोडक्शन में तरक्की का श्रेय लेने के लिए फिलहाल कोई भी टेलीविजन पर नहीं आ रहा है। लेकिन कोयतूर गोंडवाना समाज में इनके जैसा नए अवतार का इस दिशा में कोई जन्म नहीं हुआ है।
जिन्होंने बीते दिनों ग्राम पंचायत गरुड़डोल में गोंडवाना इंटरटेंमेंट फिल्म प्रोडक्शन व कोयतुर ट्राइबल थिएटर के बैनर तले पंद्रह दिवसीय आवासीय कोया कला समर कैम्प 2023 का आयोजन किया। जिसमें सरगुजा संभाग के बच्चों के साथ साथ मध्यप्रदेश के बैतूल व छिंदवाड़ा जबलपुर तक के बच्चों ने भाग लिया । यह समर कैम्प 04जून से 19जून तक हुआ तथा बीस जून को बुद्धम सय्याम द्वारा लिखित नाटक “शहीद वीर नारायण सिंह माटी सोनाखान के” मंचन के साथ संपन्न हुआ। सर्वप्रथम सभी बच्चों ने तीन जून से विधिवत रजिस्ट्रेशन करवाया तथा पंद्रह दिनों तक अभिनय के बारीकियों को सीखने के लिए मास्टर ट्रेनर लारेंस फ्रांसिस व बुद्धम सय्याम से विधिवत क्लास लिया। यह वर्कशॉप की क्लास सुबह 06 बजे आरंभ होकर सायं सात बजे तक नियमानुसार चलता रहा। बेहद गर्मी व तपन के बावजुद सभी बच्चों ने पूरी लगन से तन्मयता से अभिनय के गुण सीखे। इस वर्कशॉप में अभिनय से संबंधित सभी विषय शामिल थे। साथ ही अन्य विषय भी शामिल थे जिनमें मेडिटेशन , योगा , संगीत , डांस ,गायन , वादन अन्य विषय शामिल थे। एवं अभिनय की बारीकियों को सीखने के लिए सुप्रसिद्ध चार नाटक शामिल थे जिसमे सर्वप्रथम भ्रष्टाचार पर प्रहार करती चार टांग , चरनदास चोर , मुर्गीवाला ,इसके अलावा बुद्धम सय्याम द्वारा लिखी शहीद वीर नारायण सिंह माटी सोनाखान के शामिल थे। इन नाटको को खेलने के लिए सभी बच्चों की कास्टिंग की गई। फिर उन्हे मास्टर ट्रेनर लारेंस फ्रांसिस द्वारा बारीक तकनीक सिखाए गये।
मास्टर लारेंस फ्रांसिस एक बेहतरीन ट्रेनर हैं साथ ही अभिनय थिएटर के शहंशाह हबीब तनवीर के जमाने के जाने माने रंगकर्मी व चरित्र अभिनेता है फिल्म उद्योग में उनका योगदान अतुलनीय है। ये साउथ से हैं किंतु वर्तमान में छत्तीसगढ़ में रहकर अभिनय और नुक्कड़ नाटक ,थिएटर कर्मी , अभिनेता, ट्रेनर के रूप में सेवाए दे रहे हैं।इस दिशा में कोया कला समर कैम्प में बढ़ा अभिभावकों का रूझान बढ़ा। इस वर्कशॉप में जिले के आसपास गांव का रूझान सकारात्मक रहा। सभी अभिभावक अपने बच्चों को लेकर रजिस्ट्रेशन करवाने आए। साथ ही बच्चे भी उत्साहित दिखे । छोटे बच्चों को एक सप्ताह के लिए ही समय निर्धारित था किंतु अभिभावकों के निवेदन के कारण इसे बढाकर पंद्रह दिवसीय का कर दिया गया। जिसमें कोयतुर ट्राइबल थिएटर का द्वितीय वर्कशॉप हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ।
कोयतुर ट्राइबल थिएटर के संस्थापक बुद्धम सय्याम ने बताया कि सर्वप्रथम इस वर्कशॉप की शुरूआत 26 मई 2019 में सरगुजा जिले के ग्राम परसा से आरंभ हुआ । जिसे सरगुजाचंल के समाजसेवी सजेंद्र मरकाम जी , प्रतिमा मराबी जी , व अन्य साथियों के सहयोग से पूरा किया गया किंतु कोराना काल के वजह से गति धीमी पड़ गई। अब पुनः इसकी शुरूआत की गई है। कोयतुर ट्राइबल थिएटर की शुरूआत के बारे में बुद्धम सय्याम बताते है कि इसकी शुरूआत का कारण समाज को जागृत करने के उद्देश्य से किया गया है साथ ही ग्रामीण बच्चों के हुनर को तराशकर सामने लाना है। इस पुनीत कार्य में समाज प्रमुखों को आगे आकर सहयोग करने की आवश्यकता है। कारण यह कार्य अकेले संभव नहीं। दूसरा अभिनय वह महादर्पण है जिससे समाज की आंखे खोलने में मदद मिल सकती है। क्योंकि आज अभिनय का बहुत बड़ा योगदान है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाने हेतु एमसीबी जिले में पहली बार आवासीय पंद्रह दिवसीय कार्यशाला आयोजित किया गया जिसमें कोयतुर ट्राइबल थिएटर गरूड़डोल के थिएटर प्रमुख शिव कुमार आयाम जी का एवं देव सिंह पोया , रायसिंह श्याम जी , का विशेष सहयोग रहा। साथ ही घुटरा ,बिजौर , ढुलकु, बाला व अन्य गांव के ग्रामीण जनों का विशेष सहयोग रहा। इस कार्यशाला का अंतिम चरण सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन के साथ हुआ जिसके मुख्य अतिथि वरिष्ट कोया पुनेमी मुठवाल ,समाज प्रमुख बिक्रम सिंह श्याम , व कोरिया जिले के धर्माचार्य तथा विशिष्ट अतिथि देवसिंह पोया , अजीत प्रताप सिंह श्याम , शामिल थे। सभी ने बच्चो को आशीर्वाद दिया । फिर कोया पुनेमी संगीत ,गायन , वादन , नृत्य से दर्शको के समक्ष प्रस्तुति दी गई । तत्पश्चात कोयतुर ट्राइबल थिएटर गरूड़डोल के बैनरतले समर कैम्प के नियमित रंगकर्मी कोयतुर बच्चों द्वारा सर्वप्रथम सुप्रसिद्ध नाटक चार टांग की प्रस्तुति की गई जिसे डॉ. सुरेश स्वप्निल भोपाल द्वारा लिखी गई है। जिसे दर्शको ने बहुत पसंद किया। फिर कोयतुर कला मंच के गायक जय लाल आयाम व ममता आयाम व राधे सिंह नेटी जी के गायन ने कोया पुनेमी गीतों की सुमधुर तान से दर्शको की खूब तालियां बटोरी। इसके पश्चात दूसरा सुप्रसिद्ध नाटक मुर्गीवाली जिसे सुप्रसिद्ध राइटर प्रेम साइमन ने लिखा गया जो भ्रष्ट नीतियों का भांड़ा फोडती है। इसका प्रदर्शन किया गया। चरणदास चोर राजस्थानी लोक कथाओं पर आधारित विजयदान जी की लिखी सुप्रसिद्ध नाटक जिसे कोयतुर बच्चों ने खेला । तत्पशचात संगीत का शमां बांधने के लिए बुद्धम सय्याम ने अपने पुराने अंदाज में दर्शकों को बाधें रखा बीच बीच मे उनके द्वारा कोया पुनेम से संबंधित उद्बोधन भी हुए। सबसे आकर्षण का विषय था शहीद वीर नारायण सिंह माटी सोना खान के गोंडवाना में पहली बार थिएटर नाटक “शहीद वीर नारायण सिंह माटी सोनाखान के “खेला गया जिसके नाटककार बुद्धम सय्याम जी स्वयं हैं। इस पूरे आयोजन मे इसी नाटक का दर्शक बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। यह नाटक की खासबात यह है कि यह नाटक गोंड गोंडी गोंडवाना की ऐतिहासिक दस्तावेज को ध्यान मे रखकर लिखा गया है। बुद्धम सय्याम ने बताया इसका मंचन 750 पर किया जाएगा। जिसे अमूरकोट व कचारगढ़ धाम मे भी किया जाना है। जिसकी तैयारी अभी से की जाएगी। अंत में मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि यों द्वारा सभी कोयतुर रंगकर्मियों को कोया कला सम्मान व प्रशस्ति पत्र दिया गया। और कार्यशाला का समापन किया गया। उलगुलान वेवसिरीज -भाग 01की शूटिंग आरंभ हुई जो एक सप्ताह चली जिसे बारिश के कारण स्थगित करनी पडी।
कार्यशाला समाप्त होते ही 21 जून से 28 जून तक बुद्धम सय्याम द्वारा लिखी “उलगुलान ” वेवसिरीज भाग 01 की शूटिंग चली । अब इसकी बाकी शूटिंग बरसात समाप्त होने के बाद की जाएगी। यह उलगुलान सीरीज उन गोंडवाना के महानायकों को समर्पित है जिन्होने बहूल मूलवासी समुदाय के साथ संघर्ष किया। किंतु दुखद यह है कि अधिसंख्य प्रतिष्ठित इतिहासकारों ने कभी उचित सम्मान नहीं दिया। यह मेरे द्वारा प्रथम प्रयास है।उलगुलान एककाल्पनिक किंतु अकाट्य सत्य को छूता हुआ रंगमंचीय विद्रोह है जिसकी उपेक्षा सदा से होती रही है। इस वर्कशॉप में सम्मिलित कोयतुर कलाकारों में अतुल धुर्वे , दीपा आयाम , लीलावती सय्याम , जगदेव पावले , ज्योति आयाम , प्रकाश विश्वकर्मा , रोशन विश्वकर्मा , सुखराम सिंह पोया , दुष्यंत मरकाम , गुलाब नागवंशी , शिव नारायण सिंह आयाम , सत्यदेव सिंह मसराम ,तेज लाल , कृष्णा सिंंह, विकास , प्रदीप सिंह मरपच्ची, सूर्यदेव सिंह सांडिल्य ,वृंदा सिंह आयाम , अंजू आयाम ,चरण सिंह श्याम , मिथिलेश पोर्ते, मानमती कुशाम, सीमा मार्को, आंचल कमरो, सुशीला नेटी, मेवा लाल परस्ते, आरती सिंह पावले,पार्वती सिंह , अभिनय सिंह पावले, रविंद्र सिंह आयाम , व अन्य साथी । तथा संगीत पक्ष से शिव कुमार आयाम , राधे सिंह नेटी , धन सिंह श्याम , रामलाल नेटी, मिथिलेश पोर्ते ,इंद्रसाय सूर्यवंशी, गुलाब नागवंशी ,तेजलाल, व साथी सम्मिलित हुए । अंत में कोयतुर ट्राइबल थिएटर ग्रुप /गोंडवाना फिल्म्स के डायरेक्टर , संरक्षक ,बुद्धम सय्याम ने सभी कलाकारों के उज्जवल भविष्य की कामना की ।