खड़गवां तहसील क्षेत्रों में गैर वर्गों द्वारा आदिवासियों के भूमि की अवैध अंतरण जोरों पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ उदय ने जताया आपत्ति और कहा न्याय पाने के लिए करेगें प्रशासन का घेराव

विशेष संवाददाता/ GCG NEWS

खड़गवां/ MCB) गोंडवाना उदय GCG न्यूज ग्रुप 12 मार्च 2023

यूं तो छत्तीसगढ़ राज्य का 65 प्रतिशत इलाका अनुसूचित जनजाति क्षेत्र है। जहां जनजाति वर्गों के लिए विशेष कानून निहित है। जिनके भूमि को बिना राज्यपाल के अनुमति के बिना कोई भी गैर आदिवासी समुदाय का व्यक्ति क्रय नहीं कर सकता है। जिस कानून को कुचला जा रहा है। तथा इन वर्गों के जमीन का मामले में गैर कानूनी काम हो रहे हैं। उक्त बातें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा ग्राम पंचायत सलका में आयोजित कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ एल एस उदय सिंह ने गोंडवाना जनचेतना कार्यक्रम में शामिल लोगों के बीच अपने संबोधन में संवैधानिक जानकारी देते हुए कहा कि यह हल्का पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र है, जहां गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 की धारा 91-92 के तहत वर्जित क्षेत्र माना गया है, जिसका शासनाधिकार व जिम्मेदारी राज्यपाल को है। वहीं देश के आंशिक वर्जित क्षेत्र जिसका जिम्मेदारी मौजूदा समय में राज्य के मंत्रीमंडल को है। अलबता संविधान अनुच्छेद 189 एवम 190 संविधान निर्माण के समय इस इलाका के लिए मसौदा समिति द्वारा अनुसूचित क्षेत्र पारित किया गया है, बाद में रिवीजन के समय भी संविधान की अनुच्छेद 244(10) मे दोनों बाते शामिल कर दिया गया है। वहीं संविधान निर्माताओ ने अनुसूचित क्षेत्र की प्रशासनिक व्यवस्था के संबंध में विशेष प्रावधान सुरक्षित है।

डा उदय ने कहा कि पांचवीं अनुसूची की धारा 5-1 जिन क्षेत्रों में राज्यपाल को हक्क है कि कोई भी संसद या राज्य विधान सभा द्वारा पारित कानून को अनुसूचित क्षेत्रों में लागू नहीं होगा, जहां राज्यपाल को किसी का इजाजत तथा परामर्श लेना कोई जरूरी नहीं है। तथा धारा 5- 2 के तहत आदिवासीयों की किसी भी भूमि की हस्तांतरण एवम धन उधारी कारोबार नियंत्रण करना राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में आता है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 1959 से अब तक कई अन्य जनजातियों के लोगो  द्धारा छल पूर्वक आदिवासी समुदाय की भूमि को अवैध व नियम विरुद्ध सदोस कर लिए हैं। सरकार भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 170 ख के तहत आदिवासीयों की भूमि वापसी का एक सर्वोच्च कानून है। जिसे सरकार का जिम्मेदारी है कि वापसी कराए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि अदालतों की चक्कर में आदिवासियों की रही सही पूंजी चली गई। इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए डा एल एस उदय सिंह ने कहा कि आदिवासियों की भूमि वापसी के लिए अब जमीनी लड़ाई लड़ने की जरूरत है। जिससे इन वर्गों की हक्क वा अधिकार मिल सके। आज तक कानून की अज्ञानता के कारण भोले भाले आदिवासी जनता शोषण का शिकार होते रहे। जिस कानून पर समाज के नेता मंत्रियों का ध्यान नहीं गया। जिससे आदिवासी समुदाय का व्यापक शोषण हुआ है। ग्राम पंचायत सलका में स्थित भूमि नहरसिंह गोंड की पैतृक भूमि जिस पर गैर आदिवासी वर्गों द्वारा अवैध तरीके से भूमि हड़प लिए जानें की घटना पर असंतोष जताते हुए कहा कि अब आदिवासी एकता बना कर आगे आइए और न्याय पाने के आंदोलन कीजिए और कोई दूसरा विकल्प नहीं दिखता। इस प्रकार से खड़गवां तहसील क्षेत्र में कई जगहों में भूमि अंतरण का एक गंभीर मुद्दा है। एक जूट होकर लड़ना होगा।इ स कार्यक्रम में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी गुरूज लाल सिंह नेटी, सहित दीपक सिंह मराबी प्रदेश उपाध्यक्ष, स्थानीय परपंच पति, पंच सहित आसपास के सैकड़ो आदिवासी समुदाय के लोग उपस्थित थे।

 

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