BY- GONDWANA UDAY NEWS/GCG NEWS GRUP
(विशेष संवाददाता द्वारा)
प्रस्तावित जिला मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर /छत्तीसगढ, 7 सितंबर 2022, अमूमन सच तो यह है, कि संविधान के अनुसार यह पांचवी अनुसूचित क्षेत्र है, भारत सरकार अधिनियम GIO act 1935 के तहत यह वर्जित excluded area and partially excluded area विशिष्ट क्षेत्र है।
चूंकि भारत ने 15 अन्तर्राष्ट्रिय प्रापत्रों और अभिसमय पर हस्ताक्षर किया है। सयुंक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के अनुसार इन वर्गों की अधिकारों की संरक्षण के लिए अन्तर्राष्ट्रिय श्रम संगठन (ILO) ने 1989 में अभिसमय संख्या 169 पारित किया है। जिसके तहत जनजाति समूहों की अपनी आत्म परिभाषा,आत्म निर्णय तथा अलग पहचान व पारंपरिक व्यवस्था और स्वशासन व नियंत्रण का अधिकार पर बल दिया है। संविधान केअनुच्छेद 244(1) यानी पांचवी अनुसूची के प्रावधान में आदिवासियो का स्वशासन को मान्यता है। पांचवी अनुसूची का मुख्य उद्देश्य आदिवासियो का स्वशासन है। भारत की सरकारों ने अभिसमय संख्या 107 को स्वीकृति दी है। पर अभिसमय संख्या 169 को नहीं। विडंबना है कि इसके अंदर क्या है, तथा इसका क्या दुष्प्रभाव है?इसके बारे में हमनें सरकार से पूछा भी नहीं। इस प्रकार आज तक भारत के आदिवासी समुदाय अपने स्वशासन रूढ़िगत ग्राम सभाओं के अंदर मिनी संसद के अधिकारों से अनभिज्ञ हैं।
आई एल ओ कन्वेंशन 107 में हुये करार के अनुसार आदिवासियो को मुख्यधारा में लाने के साथ ही साजिश के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियो को मुख्यधारा और विकास के नाम पर अन्य वर्गों की प्रवेश निषेध होते हुए भी जबरन बाहरी सँस्कृति का प्रवेश कराया गया। जिनके प्रवेश से भौगोलिक अलगाव,आर्थिक पिछड़ा पन तथा बाहरी धर्मो के प्रवेश से आदिम जनजाति गुण और टोटम व्यवस्था समाप्त हो रहा है। आदिवासियो की अनूठी भाषा कुरुख, गोंडी,भीली की जगह हिंदी और अंग्रेजी जो इन वर्गो की सँस्कृति पर बाहरी प्रभाव पड़ रहा है। जो भविष्य में अनुसूचित जन जाति होने पर खतरा है। लिहाजा आदिवासियो की स्वशासन समाप्त कर इन्हें यूनिफार्म सिविल कोड की ओर से अग्रसर कर रातों रात सम्पूर्ण भारत में आदिवासियो की कस्टमरी ला खत्म हो सकता है। तथा पांचवी अनुसूची समाप्त होकर जल जंगल जमीन और खनिज पर अधिकार वर्तमान स्थिति को देखते हुए समाप्त होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
उपरोक्त्त बातें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ एल एस उदय सिंह ने शोसल मीडिया के माध्यम से प्रस्तावित नवीन जिला मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर अनुसूचित क्षेत्र में एक स्थानीय आदिवासी राघुनाथ पावले अपने संवैधानिक हक्क और अधिकार के लिए सरकार खिलाफ आमरण अनशन पर बैठने की जानकारी मिलते ही अभिव्यक्ति के आजादी के तहत प्रेस के माध्यम से अपनी अनौपचारिक चर्चा में कहा है।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ उदय सिंह ने कहा है कि सरकार पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में उन्हीं लोक सेवकों को पदस्थ करे, जो आदिवासियों के हितों लिए प्रदत संवैधानिक पाठ पढ़ा हो। तथा उनके हितों को समझे तथा कुचेष्टा से बचे। जिससे आदिवासी जनता की भावनाएं उद्द्वेलित न हो। उन्होंने इस बात से आपति जताया है, कि पांचवी अनुसूचित क्षेत्र 244(1) में प्रशासनिक राजस्व अमलों द्वारा यह जानते हुए कि भू- राजस्व संहिता 1959 की उपधारा (6) में अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों से गैर अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों को भूमि अन्तरण क्रय विक्रय पर प्रतिबंध है। इन वर्गों का भूमि हस्तांतरण पूर्णत: प्रतिबंधित है। उन्होनें कहा 1959 के पूर्व भी आदिवासी वर्गों की भूमि कमिश्नर के अनुमति के बिना गैर वर्गों के नाम पर भूमि प्रविष्ट नहीं हो सकता है। यहां तक संशोधन अधिनियम 1998 धारा 170 ख (उपधारा 2-क) ग्राम सभा के विफलता के बाद अनु विभागीय अधिकारियों को आदिवासियो की भूमि लौटाने की जिम्मेदारी निहित है। यहां तक 24 अक्टूबर 1983 को या उसके पश्चात धारा 170 ख जिसमें द्वितीय अपील वर्जित है। उक्त प्रावधानों के तहत आदिवासी कृषकों की भूमि अन्तरण पर आखिर सरकार मौन क्यों है। उन्होंने कहा, कि यह केवल मनेंद्रगढ़ नवीन जिला की नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के आदिवासी समुदायों की भूमि पर लोगों की गिद्धदृष्टि मँडरा रहा है।
पार्टी महामंत्री डॉ एल एस उदय सिंह ने कहा है, कि रघु नाथ सिंह गोंड की यह उनकी पैतृक मातृभूमि की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय की लड़ाई है। हम उनके साथ हैं। जब तक देश में कानून का राज है, हम अपने हक्क और अधिकार की लड़ाई जारी रखेगें।