कृष्ण कुमार कोराम ब्यूरो चीफ कोरिया द्वारा
कोरिया छत्तीसगढ़ गोंडवाना उदय न्यूज ग्रुप, 26 फरवरी 2024, कुछ भी हो, देश संविधान के मुताबिक चलती है, गौरतलब अत्यंत विडंबना है, कि जहां आदिवासी समुदाय बाहुल्य हल्का है, तथा पांचवी अनुसूची की अनुच्छेद 244 (1) संस्थित है। इनको यह पता नहीं है, कि इंडिया नान जुडिशियल देश है। असली आदिवासियों पर आईपीसी IPC लागू नहीं होता, अत्यंत तकलीफ देह सवाल है, यह है कि, आजादी पूर्व इन आदिवासियों के लिए नान जुडिशियल के तहत भारत को तीन भागों में विभाजित किया गया था। जिसमें यह भारतीय राज्य क्षेत्र के अंतर्गत वर्जित क्षेत्र है। तथा छत्तीसगढ़ पंचायत उपबंध लागू है। इन इलाकों में अनुसूचित जनजाति के प्रशासन और नियंत्रण पी पैसा आधारित क्षेत्र है।इन इलाकों में जनजाति सलाहकार परिषद के तहत ग्राम सभा सर्वोच्च कानून है। आज इन संरक्षित इलाकों में बतौर सामान्य कानून के संचालन से इन वर्गो को न्याय मिल पाना बिजुल की कौड़ी बन गया है। लिहाजा आदिवासी समुदाय सदियों से जिंदगी जंग गरीबी और अशिक्षा से जूझ रही है। आज इस डिजिटल इंडिया के नाम पर हाई टेक युग में क्या इन्हें न्याय मिल पायेगा। क्या अन्य वर्गो की आर्थिक मजबूती का सामना कर पाएंगे। कुछ भी हो यह देश की सरकार विकास के नाम पर जितना भी अपना पीठ थपथपा ले। तहकीकात के आईने में सब थोथा साबित हो जाता है। उक्त बातें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ एल एस उदय सिंह ने एक सवाल के जबाव में कहा है।
उन्होंने कहा है कि, पुरवर्ती सरकार के कार्यकाल में कोरिया जिला के ग्राम बैमा में एक अत्यंत गरीब आदिवासी समुदाय की बेटी जिसके साथ जो सामुहिक दरिंदगी बलात्कार तथा शरीर में तेजाब डालकर मारने की कोशिश की घटना जो प्रकाश में आया है। जिसका मै घोर निन्दा करता हूं। कहीं अफसोस है, कि यहां के टीवी अखबार ने भी कोई जगह नहीं दी। किसके लिए हमें पीड़ा है। और एक जुट होकर इस घटना का विरोध होना चाहिए और जो इस घटना को दबा कर अपराधियों को बचाना चाहते हैं। जिसका हमारी पार्टी घोर भर्त्षना करती है। तथा सरकार से चाहते हैं कि इस अति संवेदनशील मामले की न्यायिक जांच हो। तथा कठोर कार्यवाही हो। तथा डॉ उदय सिंह ने कहा है कि इस संवेदन शील घटना में राजनीति नहीं होनी चाहिए। निष्पक्ष जांच और कार्यवाही होना चाहिए।
सूत्रों की मानें तो जिस घटना में पुलिस विवेचक ने इस घटना को भादस की धारा 376 (2) ढ दर्ज किया है, लेकिन जांच कर्ता चिकित्सक द्वारा बलात्कार की पुष्टि होने की लेख स्पष्ट प्रदर्शित नहीं हो रहा है। पुलिस विवेचक, प्रभारी पोंडी बचरा ओम प्रकाश दुबे जिन्होंने धारा 164 कलम बंद में पीड़िता की ओर से न्यायालय में पेश चालान सीट में शामिल दस्तावेज़ में साफ लिखवा लिया गया है कि मैं ब्यान नहीं देना चाहती, वहीं प्रेगनेंसी टेस्ट में भी पीड़िता की ओर से लिखवाया गया है कि अत्यधिक जलन के कारण मै प्रेगनेंसी टेस्ट नहीं कराना चाहती। दोनों पीड़ित युवती की हस्ताक्षर बनाई है जांच का विषय है। आज अहम सवाल यह उठता है कि आखिरकार इस सामूहिक बलात्कार कर तेजाब एसिड डालने जैसे मामले में पीड़ित वर्गो का भरोसा किस पर होगा। यह सवाल आज सबके मन को कौंध रहा है। यह कृत्य सीधे सीधे अपराधी को संरक्षण देने से कम नहीं है। इस घटना के सभी पृष्टो पर गौर किया जा सकता है।
“इस घटना में स्थानीय चिकित्सक ने इस मामले में 2-5+5 प्रतिशत युवती की शारीरिक क्षति बताई है। वहीं वर्तमान में कालडा स्टेटस अपडेट देख सकते हैं।
घटना की अहम खुलासा,फिलहाल पीड़िता गंभीर अवस्था में रायपुर स्थित एक निजी अस्पताल कालडा में भर्ती है। जिस आदिवासी युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म तथा तेजाब एसिड डालने जैसे रेयर मामले का कथन भी हो चुका है। तीन माह से इस घटना में मापदंड के अनुरूप, चिकित्सा रिपोर्ट की पुष्टि पर 50 प्रतिशत तथा न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल होने पर केंद्र सरकार द्वारा आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा राहत राशि देने का नियम बनाया गया है। लेकिन साफ जाहिर होता है कि छत्तीसगढ़ सतारूढ़ सरकार आदिवासियों को दोयाम दर्जे का नागरिक का व्यवहार आ रही है है। घटना भले ही कांग्रेस के जमाने का हो, आज तक सरकारी केन्द्रीय योजनाओं के तहत सामूहिक बलात्कार जैसे घटना घटित होने पर इन वर्गो को आकस्मिता योजना का लाभ प्रावधानित है। मापदंड के अनुरूप मिलना था, एक पाई मदद नहीं मिल पाया। जिससे पीड़िता की ईलाज भी बेहतर नहीं हो पाया। अलबता जानकारी की मानें, तो गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ एल एस उदय से जुड़ी जी सी जी न्यूज खबर से मामला प्रकाश आते ही कोरवा स्थित आदिवासी शक्ति पीठ के संरक्षक तथा समाज प्रमुख इंजि आर एस मार्को ने सामूहिक दुष्कर्म से पीड़ित गोंड आदिवासी युवती के साथ कथित अपराध की गंभीरता को देखते हुए कहा, बेटी समाज की है, गरीब है तो क्या हुआ, हमारी है, तथा बेहतर सुविधाएं के लिए ईश्वर का शुक्रगुजार उस महान शख्स इंजि आर एस मार्को जिन्होंने तीन माह तक जिस वीभत्स स्थिति में बीहड़ जंगल क्षेत्र बैमा के बेलघुटरी जैसे जंगलों में जीवन और मौत से जूझ रही थी। जिसे अपने अपने शंभू सेना के माही उईके तरह राजेश शांडिल्य के साथ बिलासपुर से एम्बुलेंस भेजा। गाड़ी पहुंचते ही प्रशासन की ओर से स्थानीय तहसीलदार पोंडी बचरा पुलिस चौकी के पुलिस युवती को कहने लगे हमारे हिरासत में है नहीं जानें देंगे। वापस लौट गए। उसी रात 8 बजे जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर ले गए। स्थिति को देखते हुए रायपुर एम्स में भर्ती कराया गया जांच शुरू हुआ, बर्न यूनिट में कोई नहीं चिकित्सक न होने पर शासकीय डीके चिकित्सालय रेफर कर दिए। किसी प्रकार बेहतर चिकित्सा सेवा के लिए संभू सेना के कार्यकर्ताओ ने अड़ गया तब कहीं निजी चिकित्सालय कालडा जिस युवती की फिलहाल चिकित्सा जारी है। सूत्रों के मुताबिक स्थिति की घटना की गंभीरता को देखते हुए राजेंद्र नगर के पुलिस तथा स्थानीय मैजिस्ट्रेट कलम बंद ब्यान दर्ज करा लिया है। सूत्रों की मानें तो पूर्व के स्थानीय पुलिस विवेचक और चिकित्सक के द्वारा की जांच कथन और वर्तमान रायपुर के पुलिस और जांच मजिस्ट्रेट का ब्यान काफी भिन्नता होने की जानकारी है।
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सामूहिक दुष्कर्म के बाद एसिड डालने के तत्कालिक हालात जिस परिस्थिति में यह 19 वर्षीय युवती थी। उसके बाद भी पुलिस विवेचक और मेडिकल जांच अधिकारियो हालात पर नहीं किया। पुलिस कई जगह कीड़े काटने की बात कह कर अवहेलना किया। तो कई जगह बिजली करेंट में फसने की बात करके गुमराह किया गया। इस अति संवेदनशील मामले में की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
तीसरी ओर लिखित में युवती तथा परिजनों की ओर से जो महामहिम राष्ट्रपति के नाम सहित कई अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र के माध्यम से जिनका पत्र भेजी जाने संबंधी तथ्य भी सामने आया है। बेहद चौकाने वाला है, सूत्रों की मानें तो स्थानीय पुलिस ने अपने चार सीट में पीड़िता की संदिग्ध हस्ताक्षर बना बना कर मामले में अपराधियों को बचाने के लिए पुरजोर कोशिश किया है। यहां तक ट्रायल हेतु विशेष सत्र न्यायालय कोरिया में सौंपे गए कुछ दस्तावेजो में पुलिस जांच अधिकारियो का कद मैजिस्ट्रेट से भी बड़ा हो गया है।
सच मानें तो संबंधित पुलिस चौकी प्रभारी ने अपने दामन साफ रखने के लिए अपराधियों से मिलकर उनके बताए अनुसार उनको बचाने के उद्देश्य से प्रकरण को बनाया है जिस घटना की उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है। वहीं केंद्रीय स्तर पर निर्मित अनुसूचित जनजाति वर्गो के हितों की संरक्षण के बनाया गया कानून अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 4 का खुला उल्लंघन है। संबंधित प्रकरण में प्रकरण में धारा 294,506,323,307,366 निहित होना था। वहीं संबंधित जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों ने न्यायालय में अब चालान भी पेश दिया गया है।
जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों ने अत्यंत जल्दबाजी कर इस झूठे दस्तावेज बना कर न्यायालय को गुमराह करने की यह घटना का अब पर्दाफाश होते ही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी सहित समूचे सर्व आदिवासी समुदाय ऐसे गंभीर मामले को उबल उठा है। उक्त घटना युवती की चिकित्सा को लेकर पार्टी द्वारा 29 फरवरी को आयोजित आंदोलन का निर्णय लिया था, जिसे संबंध में प्रशासन द्वारा युवती का इलाज कराने की बात होने की आपसी सहयोग पर आंदोलन को को निरस्त कर दिया था। लेकिन अपराधियों को बचाने के लिए न्यायालय को दी गई फर्जी दस्तावेज चालान की गंभीरता को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी सहित समूचे आदिवासी संगठनों द्वारा जिम्मेदार चौकी प्रभारी एवं अन्य के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने की मांग को लेकर अगामी 29 फरवरी 2024 को जिला मुख्यालय कोरिया में करने का चेतावनी दिया गया है।