कोरिया छत्तीसगढ़ 29 नवंबर 2022, बहुसंख्यक गोंड एवम अन्य जनजाति बाहुल्य छत्तीसगढ़ प्रदेश जहां पांचवीं अनुसूची की अनुच्छेद 244 (1) संस्थित है। संवैधानिक तौर पर इन क्षेत्रों में जन जाति हितों की संरक्षण के लिए विशेष कानून निहित है। जहां सामान्य कानून व्यवस्था इन वर्गो के लिए आज सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। जहां चोरी छिपे हर कानून का उल्लंघन हो रहा है। परंतु कानून तो कानून होता है।
आज हम राजनीतिक नजरिए से राजनेता जिसे सता में जनता की ताकत के रूप में आंकते हैं। वहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश की सबसे बड़ी आबादी गोंड आदिवासी विधायक सांसद चुन कर जाते हैं। तथा सरकार बनाने में जिनका अहम भूमिका होता है। फिलहाल अनसुलझे कुछ राजनेता जो केवल राजनीतिक खेल खेलते हैं। जो जन कल्याण से नजर नजर टेढ़ी कर लेते हैं। यहां के आदिवासी जनता ने जिस भरोसा के साथ सिंहासन सौंपा है। अलबता कमजोर लोगों को सबसे बड़ा चोंट न्याय व्यवस्था से है। उक्त बातें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ एल एस उदय सिंह ने प्रेस को एक अनौपचारिक बातचीत में कहा है कि जन जाति वर्गो की कल्याण व संरक्षण के लिए केंद्रीय जन जाति कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जन जाति वर्गों की हितों की सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए जो कानून निहित है। ऐसे कानून व्यवस्था के बीच सेंध मारी हो और अदिवासी अत्याचार जैसे कथित घटनाओं में खुद आरोपियों को लाभ पहुंचाने जैसे कृत्य किए जाने की घटना प्रकाश में आया है। जिसमें ज़िम्मेदार आधिकारियों की वक्तव्य विधि संगत नहीं है। पार्टी महामंत्री डॉ एल एस उदय सिंह ने कहा कि कोरिया के वर्तमान अविभाजित जिला मनेद्रगढ़ के ग्राम लोहारी निवासी दुर्गावती 17 वर्षीया नाबालिक गोंड आदिवासी जिसके चाचा की ओर से पुलिस में अपराध क्रमांक 01/२०२२ के तहत 363,366,376,(2) (ढ) पाक्सो तथा एस टी एस सी दुष्कर्म जैसी गंभीर मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। वहीं आरोपी दूसरे प्रांत का निवासी जो गैर वर्ग का व्यक्ति जो यह जानते हुए कि गोंड आदिवासी वर्ग की युवती है, जानबूझ कर एक गैर जन जाति वर्ग का राजपूत युवक द्वारा दुष्कर्म करने का आरोप में जेल गया और मामला न्यायालय में विचारधीन है। गौरतलब विभाग के जिम्मेदार आधिकारियों द्वारा यह जानते हुए कि शासन से पैसा मिलने वाला है, उसके मां और चाचा को न तो सूचित किया गया न ही अन्य परिजनों को बताया गया। आरोपी और पीड़िता दुर्गावती को बुलाकर षडयंत्र पूर्वक नाबालिक आदिवासी युवती दुर्गावती बिना परिजन के कोरिया आदिवासी विभाग में बुलाकर उसके खाता क्रमांक ×××××××××× 7210 आई एफ सी कोड SBIN 0006792 में तीन लाख रूपये डाल दिया गया। परिजनों का कहना है कि हमें पता तक नहीं होने दिया कि आरोपी दुर्गावती पिता बाबू सिंह गोंड को अपने घर रखैल बना कर रखा है। वहीं आधिकारियों ने उचित नहीं समझा कि यह मामला में दुर्गावती की माता पिता को बुलाया जाए। षडयंत्र पूर्वक तीन लाख रूपये राहत राशि जिस मामले में न्यायालय में समझौता से इंकार नहीं किया जा सकता। वहीं यह जानते हुए कि दुर्गावती द्वारा मामला मे गैर आदिवासी युवक से समझौता किया होगा। उसके के बाद भी यदि आरोपी के पक्ष में पीड़िता ने समझौता किया है, तो राहत राशि देने का प्रश्न ही नहीं उठता। जो शासकीय राशि की दुरुपयोग से कम नहीं है।
जानकारी की मानें, तो शासन की ओर से आकस्मिता योजना के तहत तीन लाख रुपए की राहत राशि जन जाति वर्ग के साथ अत्याचार जैसे घटना होने पर शासन द्वारा दिया गया है। जिस राशि को आदिवासी परिजनों को न मिलकर आरोपी ही जिम्मेदार आधिकारियों की सांठ गांठ से हड़प लिए जानें की मामला प्रकाश में आया है। जिसका हमारी पार्टी घोर निंदा तथा कार्यवाही की मांग करती है।उन्होंने शासकीय राशि का दुरुपयोग को लेकर बेहद अफसोस जताया है और कहा है कि आदिम जाति कल्याण विभाग कोरिया के ज़िम्मेदार पुलिस अधीक्षक जो इस घटना के बारे में जब चर्चा किया तो इस घटना को न्यायिक तौर पर उचित बताते हुए, आरोपी को और सहायता करने की बात किया है।इस बात को लेकर पार्टी महामंत्री डा उदय ने कहा है, कि आदिवासी अत्याचार से जुड़े विभाग में सेवारत आधिकारियों को ऐसे मामलों में गंभीर होना चाहिए,और आदिवासियो की कल्याण के लिए सोचना चाहिए। न कि शासकीय राशि का दुरुपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने कहा शासन द्वारा प्रदत्त यह राशि कोई खैरात नहीं है। इसका उपयोग जनजाति वर्गो की हितों की संरक्षण और सुरक्षा में हों। उन्होंने कहा इस मुद्दे में केस जीतने के लिए परिजनों ने अपने घर से कोर्ट कचहरी में जो राशि गवाया, जिसका जिम्मेदार क्या आरोपी है, जिसका लाभ लाभ उठाया है, जो कोर्ट कचहरी में मातहत समय दिया जिसका मानसिक पीड़ा हुआ। आखिर क्या मिला, उल्टे पीड़िता को बहला फुसला कर पत्नी बता कर राशि हड़पने का षडयंत्र करने वाले आरोपी पर शासन क्या कार्यवाही करेगी। वहीं आने वाले समय में आदिवासी पीड़िता को आदिवासी सदस्य बता कर आदिवासी समुदाय का पैतृक पिता की अचल संपत्ति का हक्कदार के रूप मे जगह जमीन का बटवारा मांगने से इंकार नहीं किया जा सकता। जिससे समाज में अशांति भड़केगा, आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा। पार्टी महामंत्री डॉ उदय सिंह ने कहा है कि शासन द्वारा प्रदत्त शासकीय राहत राशि को वापस किया जावे तथा आदिवासी परिजनों को दिलाया जावे। इस दिशा में संबंधित विभाग द्वारा कोई उचित कार्यवाही नहीं किया गया, तो लोकहित में हमारी पार्टी कभी भी जनांदोलन करेगी।