मंनेद्रगढ़ कोरिया (GCG NEWS) जिले के भीतर आजादी के बाद से राजस्व विभाग में जमीनों की हेराफेरी जिस कदर हुआ है। शायद सल्तनत काल में भी ऐसा नहीं हुआ होगा। वहीं सदियों रह रहे आदिवासी जिनका पीढ़ी बीत गया। जिनका जमीन की समाधान का रास्ता का हल नहीं हो पाया है। नतीजतन भोले भाले ये जन जाति वर्ग के लोगों का एक पीढ़ी जो थाना अदालत के चक्कर में पीस चुका है।कुछ भी कहें इन वर्गों का भूमि ही इनका जिनका जीवन का आधार है। जिनके जमीन को राजस्व विभाग के पटवारी से लेकर तहसीलदार वर्ग के अधिकारी कर्मचारियो ने इस कदर उलझा दिया है। कि आज ये गरीब तबको के आदिवासी जिनका रही सही पूंजी अदालत के चौखट में खप रहा है। यहां तक कि उतरप्रदेश बिहार तथा अन्य राज्यो से यहां नौकरी करने आये लोगों ने कभी लौटने का नाम ही नहीं लिया। जिन्होने नौकरी से बैठने के बाद सर्वाधिक हमला शासकीय जमिनों पर किया। चुकिं अनुसूचित जनजाति बाहुल्य इलाका होने के कारण इनके जमीनो की क्रय विक्रय की प्रतिबंध होने के कारण आज आदिवासियो की भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत कुछ हद तक जिनका भूमि बचा है। पर शहरीकरण के कारण पूरी की पूरी जमीन इन आदिवासियो की हाथो से कब्जा दबंगो वर्गों के अधिपत्य है। जिस जमीन को ये न निगल सकते न ही उगल सकते।शहरीकरण के पुराना भूमि का रिकार्ड ही गायब हो गया है। हाल में एक युवा आदिवासी युवक कलेक्टर कोरिया को एक पत्र लिखकर एक महिला पटवारी की कारनामें को उजागर कर कार्यवाही की मांग किया है। देखना तो यह है कि प्रशासन की ओर से कार्यवाही कब तक हो पाती है।