कोरिया छत्तीसगढ़ (GCG NEWS) 5 जनवरी 2021 “यूं तो कहें यह पांचवी अनुसूचित क्षेत्र है। जहां अनुसूचित जनजाति वर्गों का एक विशेष स्वायत्तता निहित है। नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 एवं अनुसूचित जाति/जन जाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत कई विधायी सुरक्षा के उपाय किये गये हैं। जानकारी के अनुसार कोरिया कलेक्टर को लिखे शिकायत पत्र की मानें- तो 30 दिसंबर 2020 कोरिया जिले जनजाति बाहुल्य जनपद पंचायत मुख्यालय सोनहत में सामान्य सभा का आयोजन किया गया था। जिस दौरान स्थानीय मुख्य कार्यपालन अधिकारी आर एस शेंगर के द्वारा दीपचंद्र शिवहरे ग्रेड 3 की पदोन्नत करने को लेकर सामान्य सभा में एक प्रस्ताव लाया गया था।
जिसे ध्वनि मत से पास कराना था।जिस प्रस्ताव को सभापति यह कह कर असहमती जताई, कि दीप चंद्र शिवहरे पिछ्ले वर्ष स्थानीय कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में अवैध रूप से घुसने का जिसका आपराधिक कृत्य है। जिस घटना की जांच को अनुविभागीय अधिकारी द्वारा सत्य पाया गया था। उक्त जांच रिपोर्ट को कोरिया जिला कलेक्टर के कार्यालय को उचित कार्यवाही के लिए व दंडनात्मक कार्यवाही के लिए प्रस्तूत किया गया है।जो लंबित है। जिस संबंध में जनपद पंचायत सभापति ने कहा कि इस प्रस्ताव को लेकर उपाध्यक्ष गुलाब चंद्र चौधरी भी अपनी असहमति जता चुके हैं। इसलिये दीप चंद्र शिवहरे की पदोन्नत न्याय संगत नहीं है। इस बात को लेकर मुख्य कार्यपालन अधिकारी शेंगर ने पीड़िता सभापति मानमती सिंह गोंड को अपशब्द कहते हुये धौंसाया और अपमानित किया। और कहा कि दीपचंद्र को मै पदोन्नत करके दिखाता हूँ। तुम्हारे सहमति एवं असहमति से कोई प्रभाव नहीं पड़ता। पीडिता सभापति मानमती गोंड की ओर से अहम और गंभीर सवाल यह है कि दो दिन पूर्व दीपचंद्र शिवहरे और राजन पान्डे घर आये थे। और जानते थे कि यह आदिवासी वर्ग की महिला सभापति है। गौर करने लायक तथ्य यह है कि अपमानित करने की नियत से 1000 रुपये जो एक लिफाफा में डाल कर इंकार करने के बावजूद भी जबरन छोड़ गए थे। तात्पर्य क्या हो सकता है ? यहि कि ये आदिवासी महिला है।जिसे पैसा में खरीदा जा सकता है। ऐसी ओछी हरकत व मानसिकता रखने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही को लेकर महिला सभापति ने फिलहाल कलेक्टर से लेकर अनुसूचित जाति जनजाति प्रकोष्ठ थाना तक अपनी फरियाद को लेकर पहुंच गई है।बहरहाल यह एक महिला जन प्रतिनिधि एवं जनपद पंचायत में सभापति जैसे सम्मान जनक पद पर है। जिसे यह जानते हुये कि यह अनुसूचित जनजाति वर्ग का सदस्य है।तीनो सहयोगियों में से एक राजन पान्डे ने उक्त्त आदिवासी महिला सभापति को यह कहा है, कि वैसे भी तुम गोंड गवारो में इतना हिम्मत है कि मेरे खिलाफ बोलो। मेरे हिसाब से बोलोगे तो कुछ मिलता रहेगा। विरोध करोगे तो कोने में कुत्ते की तरह पड़े रहोगे। कोई नहीं पूछेगा। उस समय भी बोला था मेरे पैर में गिर जाओ अध्यक्ष बना दूँगा। यह शब्द केवल एक महिला आदिवासी के लिए नहीं बल्कि एक समूचा समुदाय को गाली है । वहीं सामाजिक संगठनो ने भी इस घटना की कड़ी निंदा करते हुये कहा है कि ऐसे गैर वर्ग के अधिकारी कर्मचारी जो पांचवी अधिसूचित क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इन वर्गों के हितों की संवर्धन के लिए बने नियम और कानून को समझें। शिरोधार्य बनने की कोशिस न करें ।