गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ उदय ने बस्तर के सरहदी इलाकों में हुए नक्सली हमले में शहादतो के प्रति गहरी संवेदना जताया, तथा कहा कि जिसका जिम्मेदार सतारुढ सरकार है।


          (विशेष संवाददाता द्वारा)

रायपुर छत्तीसगढ़ (GCG NEWS) 4 अप्रैल 2021, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ एल एस उदय  प्रेस को एक अनौपचारिक चर्चा के दौरान कहा है कि, प्रदेश के  बीजापुर  के सरहदी हल्को में सरकार की सुरक्षा सैनिकों और नक्सल बामपंथियों की गुरिल्ला युद्ध   एक वेहद संवेदनशील घटना है। जिस घटना में नवजवानों की शहादत एक गंभीर पीड़ा है। तथा इस घटनाओं में शहादत हुये दर्जनों सैनिकों के प्रति हम संवेदना अर्पित करते हैं। वहीं पार्टी महासचिव के डॉ उदय ने कहा-कि इस मामले में सरकार की नीति और सिद्धांत ठीक नहीं है। पर यह भी कहना न्यायोचित है, कि इन हल्को में दशकों से महज कुछ नवजवानों द्वारा सामाजिक एवं आर्थिक शोषण के विरुद्ध दुर्भाग्य से इन इलाको में जो हथियार बंद लड़ाई जारी है।जिसका जिम्मेदार सरकार है। पुलिस अभिरक्षा से लेकर जंगल और पहाड़ों में जो गोली चल रहा है। आमने-सामने जो गुर्रिला युद्ध चल रहा है। जिसमें कोई और नहीं, बल्कि अधिकांश आदिवासी नव जवान जिन्हें मौत के घाट उतार देने जैसे कृत्य हो रहा है। उन्होनें कहा कि ऐसे ही अमानवीय मौत के लिए हमनें आजादी की लड़ाई नही लड़ा था। तथा ऐसा कल्पना हमनें हरगिज नहीँ किया था । आज बस्तर जैसे भोले भाले आदिवासी इलाकों में जहां भौतिक संसाधनों तथा खनिज संपदा प्रचुर मात्रा में है। जिन क्षेत्रों में आर्थिक असमानता और भ्रष्टाचार का जो बबंडर उठा है। जिसका जिम्मेदार सरकार है। जो इन इलाको में आदिवासियों की सीधी सी बात को सरकार पेंचदार बना लेती है। यही बात आज यहां के भोले भाले गरीब आदिवासियों की दिलों और दिमाग को कचोट रहा है। इसीलिए सरकार के प्रति यहां के मूलनिवासियों की गहरी अनादर है। और अब आदिवासियो का सरकार के प्रति अविश्वास का माहौल बन रहा है। पार्टी राष्ट्रीय महासचिव डॉ  उदय ने सरकार के नीतियों का अलोचना करते हुए कहा है,कि सरकार द्वारा बस्तर के इन इलाको में उद्योगपतियों को आदिवासियों की जमीन जिसे कौड़ी की मोल बेच रही है। और संविधान की विशेष स्वयतता से जुड़ी पांचवी अनुसूची की अनुच्छेद 244(1) के अंतर्गत मिले अधिकार को दबा रही है। जो आज गंभीर एक समस्या है। वहीं उन्होनें कहा कि इन क्षेत्रों में सरकार भ्रष्टाचार की सारी पराकाष्ठायें पार कर दी है। अब यहां की जनता सरकार की दाग भरी चेहरा से उब चुका है। उन्होनें कहा कि सरकार को चाहिये  कि बस्तर जैसे आदिवासी बाहुल्य इलाको में इनकी मानसिकता और भावनाओं का कदर हो। तथा इन क्षेत्रों में प्रकृति से जुड़े आदिवासियो व इनके संपदा की सुरक्षा की हो।

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