छत्तीसगढ़ राज्य के पांचवी अनुसूचित जिला बालौद के पाटेश्वरधाम में कुछ धार्मिक उन्मादियों ने आदिवासियों के परंपरागत पूजा विधान पर कहर बनकर किया हमला , कई घायल, उपद्रवियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार- जनाक्रोश

(विशेष प्रतिनिधि)

बालौद छत्तीसगढ़/गोंडवाना उदय/GCG NEWS/ विशेष सूत्रों के अनुसार बीते दिनों छत्तीसगढ़ प्रदेश के जन जाति बाहुल्य अनुसूचित क्षेत्रों में अपने रूढ़ि जन्य परम्परा के मुताबिक आदिवासी समुदाय द्वारा गोन्गो पूजा विधान पूर्वक प्रथा के अनुसार सदियों से चली आ रही मान्यताओ के आधार मना रहे थे। कि गैर धर्मी के अराजक तत्त्वों ने एकाएक आदिवासी समुदाय पर हमला कर दिया। जिस सम्बंध में आदिवासी सत्ता के संपादक श्री के आर शाह के द्वारा गोंडवाना छत्तीसगढ़ न्यूज ग्रुप के सूत्रों के मुताबिक  बालोद जिले के मंचुआ थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम तुएगोंदी में दो पक्षों के बीच जमकर पत्थरबाजी और लाठीठंडे से मारपीट की घटना हुई है। घटना में लगभग आधा दर्जन लोग घायल हुए हैं, जिसमें कुछ लोग अस्पताल में भर्ती हैं। साथ ही कुछ लोगों को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

बता दें कि,मामला जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जामड़ी पाठ पाटेश्वर धाम मंदिर से जुड़ा है। जानकारी के अनुसार रविवार को पाटेश्वर धाम मंदिर के पहाड़ी वाले मंदिर में तुएगोंदी गांव के कुछ आदिवासी ग्रामीण और अन्य लोग पहुंचकर प्रथा के अनुसार  बकरा की बलि देकर वापस लौट गए। इसकी जानकारी हिंदू धर्म से जुड़े लोगों को होने पर अलग-अलग क्षेत्र के लोग गांव तुएगोंदी पहुंच गए। जहां दोनों पक्षों के बीच वाद-विवाद हुआ और मामला बढ़कर पत्थरबाजी से लेकर लाठी डंडे पर पहुंच गया।
मामले को देखते हुए जिले के पुलिस अधिकारी के अलावा मंचुआ थाना सहित आसपास थाने की पुलिस अधिकारी और बल मौके पर पहुंचकर मामले को नियंत्रित किया। वहीं मारपीट में घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया,. बहरहाल ही कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। तनाव की स्थिति को देखते हुए रविवार से गांव में पुलिस बल तैनात किए गए हैं। वही मामले की गंभीरता को देखते हुए जिले के कलेक्टर, दुर्ग रेंज आईजी सतत निगरानी में हैं। जिस घटना को आदिवासी सत्ता प्रमुख संपादक श्री के आर शाह द्वारा इस घटना पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए गोंडवाना छत्तीसगढ़ न्यूज  ग्रुप के माध्यम से कहा है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुलतावादी जिला बालोद के ग्रामीण वनांचल मे स्थिति पाटेश्वर धाम की पहाड़ी पर स्थानीय गोँड आदिवासियों के द्वारा परम्परा गत  प्रथा के अनुसार पूजन का विरोध हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा किया गया। फलस्वरूप हिन्दू सँगठनो के अनेक कार्यकर्ताओं ने भारी पथराव व लाठी, डँडो से आदिवासी महिला, पुरुषों को गँभीर रुप से मारपीट कर घायल कर दिया। एफआईआर पश्चात कुछ उपद्रवी हिन्दुओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और आगे जाँच जारी है।
इस प्रकार की विषय परिस्थितियों का निर्माण  सम्पूर्ण राज्य में फैल रहा है। देश के आदिवासियों को हिन्दू बनाने की जिद मे उतरे आर. एस. एस. और उसके अनुषांगिक तमाम सँगठन अब जमीन पर उतरकर सक्रिय हो चुके हैं। उनका कहना है कि संघ आदिवासियो के बीच आदिवासी कल्याण के नाम पर अनेकानेक सामाजिक सँगठनो का निर्माण किया है। जिसके सर्वेसर्वा व कार्यकर्ता आदिवासी जमात से ही हैं । आदिवासी जैसे जैसे उच्च शिक्षा की ओर बढ़ते  हुए अब अपने आदिम इतिहास व सँस्कृति को पढ,समझ व जान रहे हैं।वैसे वैसे उसे हिन्दुकरण के भावी खतरों का सँज्ञान होने लगा है। उसे अपने सँवैधानिक सँकट का भी अहसास होने लगा हैं। गौरतलब सँघ, आदिवासी सामाजिक सँगठनो के माध्यम से पूरे देश के वनाँचलो मे निवासरत आदिवासियों को ईसाई आदिवासी या मुसलमान आदिवासी के नाम पर बाँटकर उन्हें हिन्दू आदिवासी की गँगा मे डूबोने को आमदा हैं। जिस प्रकार पँजाब मे सिक्खों जैसी ताकतवर जमात को “हिन्दू सिक्ख” मे बाँटने या भ्रमित करने का कार्य लम्बे समय से सँघ की शाखाएँ कर रही है, ठीक उसी तर्ज पर देश के आदिवासी क्षेत्रों में सँघ के कार्यकर्ता कार्य कर रहे हैं।
आदिवासी क्षेत्रों में हिन्दू मँदिर व हिंदू मठाधीशों का आश्रम इस योजना को मूर्तरूप देने मे सक्रिय भूमिका निभाते हैं। बालोद जिले का पाटेश्वर धाम जिसके मठाधीश हैं।  जिनका एक भव्य आश्रम राजनांदगांव जिला मुख्यालय के पास स्थित है। जिनके द्वारा आदिवासियो पर प्राणघातक हमला कराने का आरोप स्थानीय आदिवासियों ने लगाया है। छत्तीसगढ़ ना सिर्फ आदिवासी बहुल्य प्रदेश हैं, बल्कि लगभग यहां का 65 प्रतिशत भूभाग पाँचवी अनुसूची से प्रभावशील क्षेत्रों में आता है।छत्तीसगढ़ की शाँत फिँजाओ को जाति धर्म के नाम पर आदिवासियों को बाँटने का पुरजोर विरोध होना चाहिए। यह जानते हुए भी कि आदिवासियों के सँवैधानिक अधिकार धर्म आधारित नहीं है। इसके बावजूद राजनीतिक उद्देश्य से सँघ,भाजपा और उसके सभी सँगठन आदिवासियों को हिन्दू घोषित करने में दिन,रात एक कर रहे हैं। जो कि एक प्रकार से असँवै धानिक कृत्य ही है।
के.आर.शाह सँपादक आदिवासी सत्ता।