मनेंद्रगढ़ शासन की भूमि पर मनमाने तरीके से कर दिया दुकानों का निर्माण बना दी धर्मशाला लेकिन जनहित के कार्यों में नहीं हो रहा उपयोगमनेंद्रगढ़शहर के मध्य स्थित गांधी पार्क एवं जयस्तंभ को अतिक्रमण से मुक्त करने के संदर्भ में नगर के युवा समाजसेवी रामचंद्र अग्रवाल ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मनेंद्रगढ़ को एक लिखित शिकायत की थी.इसके बाद रविवार को राजस्व अमले ने मौके पर पहुंचकर जमीन की नाप जोख की.अनुविभागीय अधिकारी को सौंपा गए ज्ञापन में श्री अग्रवाल में उल्लेखित किया है कि शहर के मध्य प्लॉट नंबर 385 /2 जो वर्ष 1967-1968 में जेट इंतजाम नगर पालिका की भूमि थी.इस भूमि को तथाकथित संस्था श्री राम मंदिर एवं गांधी पार्क ट्रस्ट द्वारा शासन को गुमराह कर अपने कब्जे में कर लिया गया एवं इस भूमि से लगे हुए जय स्तंभ को भी चारदीवारी में कैद कर दिया गया .ट्रस्ट द्वारा 6 जुलाई 1966 को दिए गए अपने पत्र में शासन कोई जमीन के लिए बहुत गुमराह किया है यह पत्र पढ़कर अनुमान लगाया जा सकता है.इनके पत्र में कहा गया है कि इस भूमि का प्रयोग पार्क के रूप में होता है और ट्रस्ट का इरादा पार्क को विकसित करने का है.इस पत्र में 5 दुकानों को बनवाने की बात कही गई है जो कि इनके 10 जुलाई 2066 के पत्र में इन्हीं पांच दुकानों को प्रार्थना कक्ष के रूप में स्वीकार किया गया है.श्री अग्रवाल ने
अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से अनुरोध करते हुए कहा है कि इस
स्थल का मुआयना कर इस भूमि को इस ट्रस्ट से अलग करने एवं जालसाजी पूर्वक शासकीय बेशकीमती जमीन हथियाने वाली इस ट्रस्ट की सघन जांच कर
दोषी पाए जाने पर इन तथाकथित लोगोँ पर आवश्यक कानूनी धारा लगाकर प्रकरण पंजीबद्ध किया जाए एवं ट्रस्ट का पंजीयन निरस्त किया जाए.इस शिकायत पर आज राजस्व अमले ने पूरी जमीन का नाप किया इस दौरान आम जनों के साथ ही साथ आवेदक भी मौजूद रहे .अब देखना यह है कि श्री राम मंदिर ट्रस्ट की आड़ में इस भूमि का दुरुपयोग कर अपने निहित स्वार्थों में उपयोग करने वाले कथित गिरोह पर कब कार्यवाही होती है क्योंकि जिस तरह से मंदिर जैसी भूमि का व्यवसायीकरण किया गया है वह आश्चर्य का विषय है .वहीं अब देखना है कि शासन को गुमराह कर पार्क के
नाम पर भूमि का व्यवसायिक
उपयोग करने वाले लोगों पर कब कार्रवाई होती है.
यह कैसी धर्मशाला
गांधी पार्क के लिए चिन्हित भूमि पर मनमाने तरीके से धर्म के कथित ठेकेदारों द्वारा धर्मशाला का निर्माण करा दिया गया लेकिन इन 30 वर्षों में इस का कितना धर्म के कार्य में उपयोग हुआ इसका पता धर्मशाला के रजिस्टर को देखने से चल सकता है .यहां किसी तरह की व्यवस्था ना होने के कारण धर्मशाला खंडहर हो रही है.इसका समुचित उपयोग कर इसका जनहित के कार्यों में उपयोग किया जाता तो लोगों को इसका लाभ मिलता,लेकिन मंदिर के कथित ट्रस्ट द्वारा इसका अपना व्यवसायिक उपयोग करने से समय ना मिलने के कारण पूरे परिसर की हालत दिन-ब-दिन दयनीय होती जा रही है.