कोरबा जिला के पसान राजस्व हल्का को गौरेला पेंड्रा मरवाही में शामिल करने की सियासी योजना ग्रामसभा पर हुआ निर्भर। छुटभैये नेताओं ने पसान को तहसील व जनपद बनाने की मांग को लेकर नया पेंच खड़ा कर दिया है- जनता में आक्रोश ।आन्दोलन की चेतावनी ।



कोरबा (GCG NEWS) आजादी के बाद से आदिवासी बाहुल्य इलाका पसान व मातिन बुनियादी सुविधाओं से सदैव जूझता रहा है। तात्कालीन दौर में यह इलाका बिलासपुर जिला के अंतर्गत आता था। तब भी इलाका के भोले भाले जनता सैकडों किलोमीटर दूर बिलासपुर जिला मुख्यालय जाते रहे हैं।अब भी पसान का यह इलाका से जिला मुख्यालय की दूरी 100 किलोमीटर से उपर है। गौरतलब हर कोई जनता यही अपेक्षा रखता है। जिला मुख्यालय समीपवर्ती क्षेत्र में हो। पर यह आदिवासी बाहुल्य इलाका पसान का दुर्भाग्य है कि कुछ निहित स्वार्थों से जुड़े सता के विरोधी घटक भोले भाले इलाके के जनता को भ्रमित कर रहे हैं, जिसमें महज पहले पसान को जनपद पंचायत व तहसील मुख्यालय बनाया जाये। उसके बाद ही गौरेला पेंड्रा मरवाही में शामिल किया जावेगा। सूत्रों की मानें तो पिपारिया, पोंडीकला,सिर्री, कुम्हारी दर्री,कोडगार ग्राम पंचायत में आयोजित ग्राम सभा के कुछ  लोगों की मंशा स्पष्ट कर दिया है, कि यह इलाका पूर्ववर्ती बना रहे। अधिकांश लोग विरोध पर उतर गये हैं। कि हम गौरेला पेंड्रा मरवाही समीपवर्त्ती जिले में रहेंगे।स्थानीय लोगों की यह भी कहना है कि क्षेत्र के कुछ राजनैतिक रोटी सेकने वाले छुटभैये नेताओ द्वारा भोले भाले जनता के भावनाओं को लगातार भड़का कर पेंच खड़ा कर दिये हैं। जब तक तहसील व जनपद मुख्यालय पसान में नहीं होगा। यह क्षेत्र को गौरेला पेंड्रा मरवाही में नही जायेगा।पसान से सटा हुआ ग्राम पंचायत कर्री की ओर से पोंडी उपरोड़ा एस डी एम को एक पत्र लिखकर कहा गया है,कि हमें दूर कोरबा जिला नही,बल्कि समीपवर्ती गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला में शामिल किया जाये। यदि नहीं किया जाता है, तो जन आन्दोलन करेंगे।

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